इस्लाम के दृष्टिकोण से सार्वजनिक स्थानों पर धार्मिक सभाओं का आयोजन

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बुरहानपुर (अकील ए आज़ाद) मुसलमानों के लिए अपने धार्मिक दायित्वों को पूरा करने और यह सुनिश्चित करने के बीच संतुलन बनाना आवश्यक है कि सार्वजनिक स्थानों पर नमाज अदा करते समय जनता के लिए वे बाधा न बनकर असुविधा पैदा न करें। दिल्ली की सड़क पर नमाज़ पढऩे और एक पुलिस अधिकारी द्वारा उन लोगों के साथ जो व्यवहार किया गया इस व्यवहार की एक पक्ष निंदा तो दूसरा पक्ष आलोचना कर कह रहा है कि किसी भी धर्म जाति और समाज के द्वारा सार्वजनिक स्थानों पर इस प्रकार की सभाओं के आयोजन पर विचार करना चाहिए ताकि ऐसे मौके पर किसी की भावनाएं आहत ना हो तथा आवा गवन भी बाधित न हो कुछ लोगों ने मुसलमानों पर जानबूझकर इस प्रथा को दोहराने का आरोप लगाया है। कुछ लोगों ने व्यस्त सड़कों पर प्रार्थना करने के इस्लामी नियमों की भी खोज की है। वहीं सार्वजनिक स्थानों पर धार्मिक प्रार्थनाएं करने को लेकर कुछ उल्लेख ऐसे भी मिले हैं जिससे यह स्पष्ट होता है कि धार्मिक सभाओं के आयोजन से किसी को कोई बाधा ना उत्पन्न हो ऐसे अवसरों के लिए धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख मिलता है जिसमें कहा गया है कि छह अन्य स्थानों के अलावा अन्य स्थान पर प्रार्थना नहीं की जानी चाहिए। आस.पास के लोगों के विश्वास का भी सम्मान आवश्यक है। जिससे आपसी सदभव बना रहे।

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