बुरहानपुर (अकील ए आज़ाद) दिवंगत सांसद पंडित गंगाचरण दिक्षित के प्रयासों से स्थापित मिल 1998 में बंद होने के बाद 2000 में परिसमापक के हवाले करने के बाद यह मिल चोरी हो गई बहादरपुर सूत मिल के बंद होने पर यहां एक हजार से अधिक मजदूर काम कर रहे थे जिन की पेंशन गे्रज्यूटी आदि नही मिलने से वह सरकारी दफतरों के चक्कर लगाकर परेशान है उन्हें अब प्रदेश की मोहन सरकार से उम्मीद है कि वह इंदौर की मिल की तरहां बहादरपुर सूत मिल के मजदूरों को भी उनका हक देंगे। इस गोहार को लेकर इस मिल के मजदूर और उनके परिजनों ने तहसीलदार से मिलकर अपनी गोहार मुख्यमंत्री तक पहुंचाने का प्रयास किया है। दरअसल 1998 में बहादरपुर सूतमिल बंद होकर परिसमापक श्री वास्केल सहाकारीता के सहायक आयुक्त के कब्जे में दी गई थी परंतु परिसमापक के द्वारा इस सम्पत्ति की हिफाजत नही करने के चलते करोडो की मशनरी व अन्य साज़ सामान के साथ यहां की इन्ट दिवारों को भी चोर चुराकर ले गए जो मिली भगत का परिणाम है, अब जब कि यहां कार्यरत सैकडों मजदूर अब भी अपने हक मिलने की आस लगाऐ सरकारी दफतरों के चक्कर इस उम्मीद के साथ लगा रहे है कि उनकी ग्रेज्युटी पेंशन फंड की राशि का भुगतान हो जाऐ। परंतु दो दशक से अधिक का समय बीत गया जिम्मेदारों के कानो पर जूूं नही रेंग रही है, ठीक उसी तरहां जब मिल चोरी हो रही थी तब सरकारी जिम्मेदार आंखे मूंदे बैठे रहे वैसे ही अब मजदूरों की गुहार नही सुनी जा रही है, प्रदेश में डॉ मोहन यादव की सरकार ने सत्ता संभालने के बाद इंदौर की बंद पडी गेंदालाल मिल के मजदूरों को जिस प्रकार हक दिलाया है, ठीक उसी प्रकार बुरहानपुर की बहादरपुर सूत मिल के मजदूरों को भी उनका हक मिलने की उम्मीद जागी है।