बुरहानपुर (अकील ए आज़ाद) प्रदेश सरकार के मुखिया डॉक्टर मोहन यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद अपने पहले आदेश में प्रदेश के सभी धार्मिक स्थलों पर उपयोग में लाउडस्पीकर लगाए जाने पर पाबंदी लगाई गई थी जिसको लेकर सभी धर्म स्थलों से लाउडस्पीकर हटा दिए गए यह बात मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के परिपालन में कही थी तथा अल्कोहल अधिनियम का हवाला दिया गया इसके बाद सभी धर्म स्थलों से लाउडस्पीकर का उपयोग बंद किया गया लेकिन अन्य मामलों में अल्कोहल अधिनियम का पालन नहीं होने तथा डीजे आदि के बजाने पर हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई के लोगों ने मंगलवार जनसुनवाई में एक ज्ञापन राज्यपाल के नाम संबोधित डिप्टी कलेक्टर को देखकर मांग की गई के सभी धर्म स्थलों से हटाए गए लाउडस्पीकर पुनः लगाने की अनुमति दी जाए तथा शासन के क्या आदेश हैं इसकी प्रति उपलब्ध कराई जाए इस अवसर पर शिवसेना के संभाग प्रमुख आशीष शर्मा और अधिवक्ता जहीरूद्दीन शेख ने मीडिया से चर्चा करते हुए बताया कि स्थानीय प्रशासन जबरन धर्म स्थलों से लाउडस्पीकर धमकी देकर निकलवा रहे हैं जबकि गुजरात उच्च न्यायालय का इस मामले में स्पष्ट आदेश है कि धर्म स्थलों से होने वाली प्रार्थना जो कुछ समय की है उसे अल्कोहल अधिनियम का उल्लंघन नहीं होता यह मामला किसी धर्म जाति पार्टी से संबंधित नहीं है यहां सभी धर्म के धर्म स्थलों की बात है ईसी को लेकर कलेक्टर के माध्यम से राज्यपाल को एक ज्ञापन दिया है जिसमें बताया गया है कि गुजरात हाई कोर्ट का स्पष्ट आदेश है कि धार्मिक स्थलों से प्रार्थना की आवाज ध्वनि प्रदूषण की श्रेणी में नहीं आती इसके बाद भी स्थानीय प्रशासन मुख्यमंत्री के कोलाहल अधिनियम का पालन करने वाले आदेश को बिना समझे धर्म स्थलों से लाउडस्पीकर निकलवा रहा है कोलाहल अधिनियम के तहत सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि किसी भी ध्वनि विस्तारक यंत्र का उपयोग निर्धारित डेसीबल में प्रातः 6 बजे से रात्रि 10 बजे तक सक्षम अधिकारी की अनुमति से किया जा सकता है परंतु स्थानीय प्रशासन ऐसा नहीं कर रहा है जिसको लेकर हिंदू मुस्लिम सिख इसाई सभी धर्म के लोगों ने मिलकर या ज्ञापन राज्यपाल को प्रेषित किया है।