बुरहानपुर (अकील ए आज़ाद) चिकित्सा महाविद्यालय विभिन्न पैथियो के माध्यम से शिक्षा प्रदान कर समकक्ष मान्यता देते हैं परंतु जमीनी स्तर पर इसमें भेद पैदा कर उन्हें उपचार करने पर पाबंदी लगाकर सौतेला व्यवहार किया जा रहा है जिसका विरोध आयुर्वेदिक और यूनानी डॉक्टर कर रहे हैं इस सौतेले व्यवहार को लेकर मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन जिला कलेक्टर को देकर मांग की गई है कि जिस प्रकार एलोपैथी के डॉक्टर जिन विषयों के माध्यम से पढ़ाई करते हैं वहीं विषय आयुर्वेदिक और यूनानी में भी पढ़े जाते हैं दोनों की डिग्री समक्ष है परंतु उनकी प्रैक्टिस में एलोपैथी दवाओं से उपचार पर पाबंदी लगाई गई है जो उचित नहीं है इस आशय का ज्ञापन नेशनल इंटीग्रेटेड मेडिकल एसोसिएशन के द्वारा देकर मांग की गई है कि उन्हें भी मॉडर्न मेडिसिन दवाई लिखने की अनुमति प्रदान की जाए संगठन के जिला अध्यक्ष डॉक्टर विनोद दुम्बनी ने मीडिया के साथ चर्चा करते हुए बताया कि जब कोविड काल सहित अन्य शासकीय और अर्ध शासकीय चिकित्सा संस्थानों में उनकी नियुक्ति की जाती है तो वहां उन्हें कोई पाबंदी नहीं इसी प्रकार शासन के केंद्रीय और राज्य पंजीकृत कार्यालय में दोनों का पंजीयन समान रूप से किया जाता है तो फिर प्रैक्टिस पर पाबंदी क्यों जिला अध्यक्ष डॉक्टर विनोद ने कहां की आयुर्वेद और यूनानी चिकित्सकों को छत्तीसगढ़ महाराष्ट्र उत्तर प्रदेश हिमाचल प्रदेश हरियाणा कर्नाटक असम पश्चिम बंगाल सहित अन्य राज्यों में आयुर्वेद और यूनानी के डॉक्टर की प्रैक्टिस पर कोई पाबंदी नहीं है तो फिर मध्य प्रदेश में क्यों जिला अध्यक्ष का तर्क है कि इससे ग्रामीण अंचलों में स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर होगी एसोसिएशन के इस ज्ञापन के साथ केंद्र और राज्य शासन के समय-समय पर किए गए नोटिफिकेशन की प्रतियां भी संलग्न की गई है जिसके माध्यम से सरकार ने मॉडर्न मेडिसिन प्रैक्टिस की अनुमति प्रदान की है नेशनल इंटीग्रेटेड संगठन की मध्य प्रदेश सरकार से मांग है कि प्रदेश के आयुर्वेदिक और यूनानी के डॉक्टर को भी मॉडर्न मेडिसिन में प्रैक्टिस की अनुमति प्रदान करें।