टैक्सटाइल ट्रेडर्स वेलफेयर एसोसिएशन श्रम कानून से परे—- टेक्सटाइल संचालक

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बुरहानपुर (अकील ए आज़ाद) पावरलूम बुनकर मजदूरों के साथ टैक्सटाइल ट्रेडर्स एसोसिएशंस के बीच मजदूरी को लेकर हुई बैठक विफल होने के बाद मामला दोनों पक्षों के बीच उलझ कर रह गया है बुनकर संघ मजदूर यूनियन इसको टेक्सटाइल संचालकों की है हटधर्मी बता कर शहर की शांति व्यवस्था और बुनकरों के शोषण और उनसे खिलवाड़ बता रहा है तो दूसरी ओर टेक्सटाइल संचालक इसे श्रम कानून की परिधि से बाहर मानकर श्रम कानून के दायरे से बाहर बता कर बुनकरों से लिए जाने वाले काम को जॉब वर्क बता रहे हैं उनका कहना है कि हम बुनकर से जो काम ले रहे हैं वह जॉब वर्क है ऐसे में जो बुनकर हमसे काम लेगा उसे हम जॉब मानकर कम और ज्यादा मजदूरी समय के साथ देंगे। बुनकर टेक्सटाइल संचालकों को कपड़ा तैयार करके देने को अपनी मजदूरी मानता है जबकि टेक्सटाइल संचालकों ने इसे जॉब वर्क नाम दिया है मजदूरी और जॉब वर्क इन दो शब्दों के बीच बुनकर फस कर उलझ गया है जैसा की टेक्सटाइल संचालकों की संस्था टैक्सटाइल ट्रेडर्स वेलफेयर एसोसिएशन अगर टेक्सटाइल संचालकों की भलाई के धर्मात्म कोई काम करें तो वह वेलफेयर कहलाएगा लेकिन इस संस्था के सदस्य बुनकरों के साथ बैठकर व्यावसायिक रूप से जॉब वर्क का नाम देकर काम करने की बात करते हैं तो सैद्धांतिक रूप से यह कार्य श्रम कानून की परिधि में होगा लेकिन यही संस्था टेक्सटाइल संचालकों का प्रतिनिधित्व कर प्रशासन के साथ बैठकर बात करती है तो वह बात व्यावसायिक होगी ना कि वेलफेयर इस पर प्रशासन के जिम्मेदारों को आगे आकर टेक्सटाइल संचालको और बुनकर मजदूर यूनियन के जिम्मेदारों में मध्यस्ता कराकर मजदूरी तय करानी चाहिए क्योंकि जॉब वर्क भी मजदूरी का दूसरा नाम है जो मजदूरी की श्रेणी में आता है और जिस पर श्रम कानून लागू होता है।

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